सभी पाठकों को मेरा अभिवादन.प्रस्तुत है मेरी नई कविता.पढ़िये, आनंद लिजिये और हां अपनी टिप्पणी देना न भूलिये
अभिनेता
हीरो जी हाथ जोड़
ताली बजा रहे थे
गर्दन हिला हिला
भोले-भंडारी को
मना रहे थे
तभी एक
झमाका हुआ
महादेव जी
प्रगट हुए
बोले वर मांग
अभिनेता बोला
हे भगवन
आप हैं धन्य
आठ ही दिन
हुए आते
इतनी जल्दी
हो गये प्रसन्न
भगवान बोले
रे मूढ़ मति
मैं प्रसन्न नहीं
दुखी हूं
तू इधर बैठ
नाम मेरा जप रहा है
मेरे सामने ही
सेटिंग कर रहा है
मन में है
हीरोईन का ध्यान
भक्ति नहीं भक्ति की
एक्टिंग कर रहा है
जो मांगना है मांग
चलता बन
किंतु याद रहे
अब कभी आना नही
बोर हो गया
फिर से तेरी घटिया
एक्टिंग दिखाना नहीं
28.7.10
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