24.9.09

पहली बात

सभी पाठकों को यथायोग्य अभिवादन.
कई दिनों से कई धाकड़ लिक्खाड़ों के बलाग्स पढ़ रहा था,
कुछ टिप्पणियां भी टीपी. और मुझे भी अपने विचार और रचनाऐं
(हास्य-व्यंग की कविताऐं रचता हूं) आपसे बांटने की इच्छा हुई.
फलस्वरूप "आपकी हमारी" का प्रादुर्भाव हुआ.इस माध्यम के द्वारा आप मुझ से
और मैं आपसे जुड़ा रहूंगा और आपका प्यार भी मिलेगा यह विश्वास भी है.
एक स्वरचित क्षणिका का आनंद लिजिये.
परिवर्तन
मैं श्रीमती बेईमानी
धर्म-पत्नी लालच कुमार
निवासी कलियुग नगर
अपना नाम परिवर्तित कर
श्रीमती चतुराई रख रही हूं

शेष फिर

3 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

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  2. आपकी कवितायें पढी। अच्छी लगी। ब्लॉग का लिंक भेज कर न्यौता देने के लिये धन्यवाद!

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