23.4.10

जरा-जरा

आईये आज आपको कविराज के दरबार में हुआ राय साब और पंडित जी का वार्तालाप बताता हूं.बीता हुआ समय तो बीत ही गया आज का समय तो भोग-भुगत ही रहे हैं किंतु आने वाला समय कैसा होगा जरा जरा आभास कराता हूं.
जरा-जरा
पंडित जी बोले
कहीं आये न आये
फिल्मों में तो
कलियुग आ गया है
जुलुम हो रहा
संगीत तक में
नंगापन छा गया है
पहले गाने आते थे
छोड़ो छोड़ो मोरी बैंया सांवरे
लाज की मारी
मैं तो पानी पानी हुई जाऊं
और आजकल के गाने
खुला निमंत्रण
जरा जरा किस मी
किस मी...हो जरा जरा
अब बचा क्या
बताईये
राय साब बोले
माना कलियुग आया है
किंतु पूरा कहां छाया है
हमारी राय में
कलियुग की कालिमा
तभी छायेगी
जब नायिकायें
जरा और बढ़ेंगी
जरा और आगे आयेंगी
जो रह गया बाकी
वो भी बतायेंगी
छोड़ देंगी जरा जरा
हो जाये पूरा पूरा
ऐसे गाने गायेंगी

13.4.10

हैद्राबाद में चिठ्ठागोष्ठी ( bloggers meet )

हमारे शहर हैदराबाद में ईंडी ब्लागर्स की ओर से चिठ्ठागोष्ठी (bloggers meet) का आयोजन होटल सेलेक्ट मनोहर (त्रितारांकित) में रविवार 11 April को किया गया. यूनिवर्सल वालों ने इसे स्पांसर किया था.
इसी की एक छोटी सी रपट प्रस्तुत है. लगभग 150 ब्लागर्स पांच से पचपन की आयु तक के पधारे.ढाई बजे तक सभी वातानूकूलित सभागृह में अपनी अपनी सीटों पर जम गये.अधिकतर इंगलिश में लिखने वाले थे कुछ तेलुगु वाले भी थे किंतु हिंदी ब्लाग वाले केवल हम ही थे.
कार्यक्रम प्रारंभ हुआ ईंडीब्लागर्स की टीम ने अपना परिचय दिया. स्थानीय संयोजक विनीत उर्फ"Hyderabad Rocker" ने भी दो शब्द कहे. फिर slide show शुरु हुआ.
एक ब्लागर ने जो मूल रूप से हैद्राबादी हैं और प्रस्तुत में जर्मनी में है एक बढ़िया विडियो सभी ब्लागर्स के लिये भेजा जिसमे श्री हिटलर को मजाकिया अंदाज में ब्लाग्स की चर्चा करते हुए दर्शाया गया था.सभी ने आनंद लिया.
अब 30 seconds of fame प्रारंभ हुआ जिसमें प्रत्येक ब्लागर को तीस सेकेंडस में अपनी बात रखनी थी. कई लोग झिझके, कुछ अधिक आत्मविश्वासी थे .प्रत्येक ब्लागर ने अपना परिचय दिया, अपने ब्लाग के बारे में बताया, उपस्थित जनों ने तालियां बजा कर उत्साह वर्धन किया.
दो-चार ब्लाग वाले तो कई थे किंतु एक सज्जन ने बताया कि उनके ब्लाग्स की संख्या पचास है. हमने सोचा इन्हें और कुछ करने का समय कैसे मिल पाता होगा. हमने भी अपना परिचय आंग्ल भाषा में ही कुछ इस तरह दिया,












Hi every body... myself vijayprakash. i am only eight months old...of course in blogging. Many bloggers among us have more than one blog...i am poor in that sense... i have only one blog...aapakihamari.blogspot.com...i write humorous poems...please visit.. you'll like them instantly. thanks
सोचा अगर हिंदी में परिचय देंगे तो तालियां कम बजेगी. और बजी हमारे परिचय पर अच्छी तालियां बजी.सारों ने अपना परिचय करा दिया.


अब मजेदार "मेल-जोल सेशन"प्रारंभ हुआ.प्रत्येक ब्लागर को कैलेंडर की तरह का कोरा जाड़ा कागद और एक स्केच पेन दिया गया.जैसा कहा गया उसी प्रकार सभी ने कागद को अपने अपनी पीठ पर लटकाया और सारे ब्लागर्स एक दूसरे की पीठ पर अपने अपने संदेश लिखने लगे.परिचय और hand shake होने लगे. हम भी hi करने लगे और प्रश्न पूछने लगे -(know hindi) नो हिन्दी, है न मजे की बात उत्तर भी ठीक यही मिलता, (no hindi) नो हिन्दी.
हमने कईयों की पीठ पर, कईयों ने हमारी पीठ पर संदेशे लिखे
इसके बाद quiz session शुरु हुआ और इंटरनेट से संबंधित कई प्रश्न पूछे गये, सही उत्तर वालों को पुरस्कार मिले.यह सेशन भी बहुत मजेदार रहा.
लगभग पांच बजे उंची चाय जी हां high tea का शाब्दिक अनुवाद, जिसमें दही भल्ले, मिनी बर्गर, गुलाब जामुन और हां चाय काफी भी काफी थी, सभी ने चर्वण किया.
बाद में चर्चा हुई और समापन में सभी को एक टी-शर्ट उपहार दी गई.तो बंधुओं इस चिठ्ठागोष्ठी में हमने बहुत आनंद लिया और कई नये मित्र बनाये.

6.4.10

नमक सत्याग्रह

नमक सत्याग्रह
आप सभी जानते है कि गांधी जी ने नमक सत्याग्रह किया था अंग्रेज सरकार को झुका कर छठी का नमक याद दिलाया था. आज ही के दिन 1930 को इस सत्याग्रह का समापन हुआ था. उस सत्याग्रह को पूरी महत्ता देते हुए हम अपने पाठकों को एक और नमक सत्याग्रह के बारे में बता रहे हैं, इसे किसने ने किया और कौन झुका...पढ़िये और आनंद लिजिये.

पहला दिन
कविराज - दाल में थोड़ा नमक अधिक लग रहा है.
कविरानी - ( चख कर) मुझे तो सही लगता है.
- तुम्हे लगने से क्या होता है ? मुझे लगना चाहिये.
- सभी ने दाल खाई किंतु किसी ने नहीं कहा
- तो क्या मेरा स्वाद बिगड़ गया है.
- अब मैं कैसे कहूं.
- क्या मतलब?
- जी कुछ नहीं
- एक बात समझ लो, अधिक नमक स्वास्थ्य के लिये ठीक नहीं होता.
- समझ गई जी कल से कम डलेगा.
कविराज - हूं..उ उ उ उ उ... उ...
कविरानी - .................................
दूसरा दिन
कविराज - आज दाल और सब्जी दोनों ही फीकी है.
कविरानी - आप ही ने कहा था कि नमक कम...
- तो इतना कम थोड़े ही कहा था.
- मैंने तो केवल थोड़ा सा कम...
- अरे यार ज्यादा कम हो गया है.
- जी मैंने तो...
- लगता है तुम्हे फिर से A B C D सीखनी होगी.
- जी कभी कभी हो जाती है गलती
कविराज - ऐसे कैसे हो जाती है ?
कविरानी - ..................
तीसरा दिन
कविराज - ओफ्फो... आज तो हद हो गई.
कविरानी - क्या हो गया?
- इस दाल में नमक है ही नहीं.
- सारी...भूल गयी हूंगी.
- वाह-वाह...शाबाश...
- अब क्या हुआ ?
- क्या हुआ ? चखो इसे, सब्जी में नमक दुगना है.
- हाय राम, शायद दो बार डल गया.
- अब मैं क्या करूं ?
- अब मैं क्या कहूं ?
- यही कहो रहने दिजिये, फिर फेंक दोगी.
पता है सब्जी मेवे के भाव और तेल घी के भाव आ रहा है.
कविरानी- ..................................
- बस मुंह बंद कर लेती हो....कुछ तो कहो.बताओ कैसे खांऊ?
- आप गुस्सा हो जायेंगे.
- नहीं नहीं बताओ तो सही.
- दाल में नहीं है सब्जी में दुगुना है दोनों को मिला लो, नमक सही हो जाऐगा.
- अच्छा सुझाव है. हूंउउ...ऐसे मिला कर कोई खाता है भला ?
- भीतर तो सब मिलेगा न, बाहर मिल जाये तो क्या हुआ.
कविराज - धन्य हो...
कविरानी - ................................................
चौथा दिन
कविराज - आज क्या बात है ? दाल और सब्जी सब में नमक बिल्कुल सही है.
कविरानी - (मुस्कुराते हुए) अब मैं क्या कहूं.
- यही कहो न...हो जाती है कभी कभी...गलती
- आपका भी जवाब नहीं
- क्यों ?
- कम हो तो सुनाते हो, ज्यादा हो तो सुनाते हो, सही हो तो भी सुनाते हो...
- आदत नहीं न है ऐसा सही खाने की
- आपको तो आदत मुझे ही कुछ न कुछ कहने की है. है न ?
कविराज - छोड़ो यार मैं तो हंसी कर रहा हूं.
कविरानी - ..........................................
पांचवा दिन
कविराज - ओफ्फोह...जरा सुनना
कविरानी - जी कहिये
- आज न तो दाल में नमक है न ही सब्जी में.
- जी हां नहीं है पता है.
- क्या मतलब ?
- जान बूझ कर नहीं डाला.
- हांये..क्यों नहीं डाला ?
- देखिये इस कम ज्यादा के चक्कर से दुखी होकर सोचा कि...
- सोचा कि बिना नमक का खिला दूं.
- जी नहीं.ये नमकदानी रखी है.जितना आपको लगता है, ले लिजिये.
- मुझसे हंसी कर रही हो ?
- ये हंसी नहीं, नमक सत्याग्रह है.प्रति दिन भोजन बिना नमक ही बनेगा.बस्स
कविराज - जो भी हो ठीक नहीं कर रही हो.
कविरानी - ..................................
छठा दिन
कविराज - एक बात कहना चाहता हूं
कविरानी - कहिये न
- देखो पति की बातों का बुरा नहीं मनाते.
- तो
- तुम्हे अच्छा नहीं लगा न, आगे से मैं नमक के बारे में कुछ भी नहीं कहूंगा.बस ये...
- नमक सत्याग्रह वाली बात... आज समाप्त...वो तो हंसी की थी.
- तो क्या ...
कविरानी - चखिये न...नमक बराबर है.
कविराज -.......................................
 
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