2.1.11

सज्जन और दुर्जन

बंधुओं, अभिवादन. कई दिनों कि अनुपस्थिति के बाद पुनः आपके मनोरंजन के लिये एक कविता प्रस्तुत है.सज्जन कौन और दुर्जन कौन आप ही निर्णय करिये और आनंद लिजिये.

कविराज को एक एजेंट ने
बहुत समझाया पटाया
किश्तों में बैंक से
एक होम थिऐटर दिलाया
हो जाता है कभी
एक बार किश्त भरने में विलंब हुआ
मैनेजर ने फोन किया
खूब खरी-खोटी सुनाई
कविराज को ये बात रास नहीं आई
बोले देते समय मीठे
लेते समय कड़वे बोल
अरे गिरगिट
सुन ले कान खोल
मेरे जैसे से पाला नहीं पड़ा तेरा
जा पैसे नहीं दूंगा
जो करना है कर ले मेरा
फिर जैसा की होना था
बैंक से एक बंदा
कविराज की कुटिया पर आया
घूरा बोला हूंउउउउ, क्यों रे
कविराज ने तुक मिलायी
बोले हूंउउउउ हां रे
तू ही कविराज है?
ये बोले हां रे
तू कौन ये बता रे
बोला मैं सज्जन हूं
यू सी दे सी लास्ट में
आई सी बैंक से आया हूं
कविराज बोले
आइये आपका था हमें इंतजार
कैसे नहीं आते सरकार
सज्जन बोला टरटरा मत
और कुछ नहीं
रुपया निकाल बस
कविराज बोले
मैंने कब मना किया है
अवश्य ले जाइये
आईये चाय पीते हैं विराजिये
सज्जन ने सोचा ये तो डर गया
बेचारा आस का मारा
चौड़ा हो बैठ गया
कविराज ने दीवार के अमिताभ की तरह
किवाड़ बन्द किये ताला लगाया
और चाबी को
बाहर का रास्ता दिखाया
यह देख सज्जन चकराया
पूछा
चाबी बाहर फेंक दी, ये क्या किया
कविराज ने कहा "कर्ज दिया दर्द लिया"
सज्जन बोला समझा नहीं
कविराज बोले
समझाता हूं
चाय बनती है तब तक
आपको आपका ही
होम-थिऐटर सुनाता हूं
भारतीय फिल्म संगीत की
पूरी हिस्ट्री बताऊंगा
पहले उन्नीस सौ चालीस के
गाने लगाता हूं
सज्जन कुछ कहता
उससे पहले कविराज ने
सिस्टम आन कर सी.डी.लगाई
गायिका ने एक लंबा आलाप लिया
कविराज का मुख खिल गया
इधर सज्जन
बवंडर में पत्ते जैसा हिल गया
कविराज बोले सुनो
क्या दर्दीली आवाज निकाली है
ये जोहरा बाई अंबाले वाली है
कोई संकोच न करना
कलाकारों के बारे में
कुछ पूछना है
तो पूछते रहना
सज्जन बेचारे ने
आठ-दस गानों तक सहा
फिर कहा
चाय रहने दे, पैसे निकाल
मुझे जाना है
कविराज गरजे
जाना है प्यारे लाल?
कैसे जाऐगा?
अभी तो अमीर बाई कर्नाटकी गा रही हैं
आगे राज कुमारी
नूरजहां सुरैया और गीता दत्त आ रही है
सौ एक गानों के बाद
लता जी का नंबर आयेगा
तभी किवाड़ खुलेंगे
और तू जा पायेगा
सज्जन कविराज का
तेज देख कर घबरा गया
हवा निकल गई उसकी
बेचारा
संगीत से रगड़ा गया
बंधुओ, कविराज ने
पूरे तीन घंटे एक से एक
पुराने गाने और गजलें सुनाई
पैसे मांगना भूल
हाथ पांव जोड़
सज्जन ने किसी तरह जान छुड़ाई
कुछ देर बाद
मैनेजर का फोन आया
बोला कविराज
हमारा सज्जन
बहुत हिल रहा है
सिर पकड़ रहा है
कभी छोड़ रहा है
कर दिया क्या इसे
बहुत तड़प रहा है
कविराज ने कहा
इसे तो केवल
पुराना संगीत सुनाया है
पैसे चाहिये?
तो अब आप आईये
संगीत से डर लगता है
नहीं सुनाउंगा
मेरा कलेक्शन बढ़िया है
देखिये तो सही
मजा आ जाऐगा
नई भूल जायेंगे
निम्मी, श्यामा
गुरुदत्त दारासिंह की
पुरानी ब्लैक एन्ड व्हाईट
फ़िल्में दिखाऊंगा
बंधुओं मैनेजर की बुद्धि जागी
कविराज से विनती की
अपनी भूल मान क्षमा मांगी
साथ ही साथ अपने
कर्मचारियों को निर्देश दे दिया
साथियों जो चाहे करना
पर कभी भी किसी भी
कवि से न भिड़ना

5 टिप्‍पणियां:

  1. मैं तो कविराज की साईड!
    आशीष
    ---
    लम्हा!!!

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  2. maza aaya padh kar...:)hmmm waah ji waah kaviyon ki baat hi kuch aur hai

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  3. जब से तेरी चाहत अपनी ज़िन्दगी बना ली है!
    हम ने उदास रहने की आदत बना ली है!
    हर दिन हर रात गुजरती है तेरी याद में!
    तेरी याद हमने अपनी इबादत बना ली है!

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  4. Very well written here. I enjoyed reading this. Like you I have also written the best interior designer in ahmedabad

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