23.2.10

1411 से विश्व-बाघ सभा तक

कविराज की मंडली सजी थी .हमने पूछा आजकल 1411 की बहुत चर्चा चल रही है ये है क्या ?
कविराज ने कहा बंधु ये उन बाघों की संख्या बताई जा रही है जो शिकारियों की नजर से बच गये और हैं.  तभी प्रेम पत्रकार ने कहा मैं आज ही सुंदरवन से बाघों का "वर्ल्ड कन्वेंशन" कवर कर आ रहा हूं और ...  मंडली ने एक स्वर से कहा प्रेम जी हमें वहां की "फर्स्ट हैंड इन्फोर्मेशन" दिजिऐ न.                   
प्रेम पत्रकार ने सिर हिलाया और बोले जिस प्रकार हम लोगों में चर्चा हो रही है ठीक  उसी प्रकार बाघों में भी कम जनसंख्या का हल्ला हो रहा है. इसी विषय पर वो असाधारण सभा बुलाईगई थी.  बहुत सारे बाघ घेरा बना विराजमान थे.
अध्यक्ष बाघ ने अपने संबोधन में कहा. कुछ समय पूर्व राजे महाराजे थे जो जब जी चाहे मनोरंजन के लिये हमारी हत्या कर देते थे.
प्रभुकृपा से वो आप ही समाप्त हो गये. किंतु फिर भी हमारी आबादी उतनी बढ़ नहीं रही. मेरे विचार से इसका कारण है हमारे रहने के स्थान जंगल जो नहीं के बराबर हैं. और जो है वहां भी मानव घुसपैठ कर रहे हैं. यदि हम कोई प्रतिरोध करते हैं तो हमें मानवभक्षी कह मार दिया जाता  है. मैं पूछता हूं क्या हमारी आबादी "जू" में बढ़ेगी? या हम फ्लैटों में रहेंगे?
एक अतिथि साईबेरियन बाघ जो बहुत तगड़ा था बोला सच कहा आपने. रूस में तो हम बढ़ रहे है क्योंकि उधर के जंगलों में मानव की घुसपैठ बहुत कम है.
अध्यक्ष बाघ ने कहा अब जो समस्यायें आप "फेस" कर रहे हो बताऐं.
चीन से आया बाघ बोला अध्यक्ष जी वहां तो हम लगभग पचास ही रह गये हैं कारण कि उधर हमें कूट पीस कर हमारी दवाईयां बना मर्दानगी बढा़ई जा रही हैं."एक "लोकल" बाघ दहाड़ा, यह मानव मचान पर बैठ छल से हमारी हत्या करता है क्या यही है इसकी मर्दानगी? एक और बाघ बोला हम तो मानव को छेड़ते ही नहीं बल्कि उससे कन्नी काटते हैं और ये... ये हमें मार कर हमारे मुंह से दीवार सजाता है. अपने बाप-दादा की मुंडियां क्यों नहीं लगाता?  सभी बाघों ने "शेम-शेम"कहा. तत्पश्चात अध्यक्ष ने कहा कि कुछ भी हो किंतु यह गर्व का विषय है कि आज संसार के सारे बाघों की संख्या के लगभग साठ प्रतिशत बाघ यहां भारत में विचरण कर रहे हैं. किंतु फिर भी हम कम हैं अतः और आबादी बढ़ाने हेतु मैं आप सभी के सुझाव आमंत्रित करता हूं.
एक अधेड़ बाघ बोला प्रत्येक बाघ को एक से अधिक साथी रखने की छूट होनी चाहिये. इस पर एक सयाना बाघ बोला इससे हमारी "क्वांटिटी" तो बढ़ जायेगी किंतु "क्वालिटी" समाप्त हो्ने का डर है.एक बाघ ने कहा हमारे चमड़े का उपयोग सजावट के लिये न हो इसका कोई उपाय होना आवश्यक है.एक बोला आजकल तो हमारी हड्डियों से भी शराब बनाई जा रही है.दूसरे ने कहा जैसे गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग होता है क्यों न वैसे ही हमारे मल-मूत्र का भी कोई उपयोग मानव को सुझाया जाऐ ताकि वह इन के लिये ही सही, हमें अवश्य पालेगा.
इस तरह कई प्रकार के वाद-विवाद एवं सुझावों के पश्चात अंत में सर्व सम्मति से ये प्रस्ताव पारित हुआ - हम सभी बाघ मानवों से अनुरोध करते हैं कि हमारे मृत शरीर या अंगों का सजावट
, दवाई या शराब में प्रयोग न करें न ही होने दें .भारत के वन विभाग से हमारा नम्र निवेदन हैं कि यदि वो "सिरियसली" हमारी जनसंख्या बढ़ाना चाहते हैं तो शिकारियों (?) यानी poachers को समाप्त करें और जनता से सहयोग ले जंगल बचायें. सभी बाघों ने दहाड़ कर अपनी सहमति जताई .                  
उपसंहार
एक मसखरे बाघ ने जंगल के संदर्भ में कहा क्यों न हम मुंबई चलें वहां की आबो-हवा बाघ-बघेलों को बहुत रास आ रही है, सुना है कि उधर हम बहु-संख्यक हो गये हैं.
इस पर एक इतिहासज्ञ बाघ ने कहा बेटे आपकी पीढ़ी को वह प्रसंग पता नहीं जिसके कारण आज बाघ मुंबई में फल-फूल रहे हैं. यदि अध्यक्ष जी की आज्ञा हो तो... अध्यक्ष जी ने सिर हिलाया और इतिहासज्ञ बाघ बोला- कई वर्ष पूर्व एक गुरु महाराज के तीन शिष्य सिख-पढ़ अपने अपने ठिकाने जा रहे थे.
मुंबई में उन्हें काल-कवलित बाघ का एक पिंजर दिखा जो सन साठ से पड़ा सड़ रहा था. तीनों ने सोचा क्यों न अपने ज्ञान का "प्रैक्टिकल" किया जाये. पहले शिष्य ने जो चीन के रेशमी लाल वस्त्र पहनता था बोला इस बाघ के पिंजर को मैं अपने ज्ञान के बल पर खड़ा कर सकता हूं. दूसरा शिष्य जो भगवे रंग से रंगी खद्दर पहनता था बोला मैं इस के खड़े पिंजर पर मांस-चमड़ा मढ़ सकता हूं.तीसरे शिष्य ने जो श्वेत खद्दर पहनता था कहा तुम सबसे मेरा ज्ञान उंचा है. मैं इस में प्राण फूंक सकता हूं.अब पहले और दूसरे ने मंत्र पढ़े .पहले बिखरी हुई हड्डियों से बाघ का ढांचा बना फिर उस पर मांस-चमड़ा प्रकट हुआ किंतु फिर भी बाघ निर्जीव ही था.अब तीसरे की बारी थी यहां पहले और दूसरे ने उसे सलाह दी कि भैय्या विचार लो, इसमें प्राण फूंकना बहुत "रिस्की" है. किंतु खद्दरधारी ने इनकी एक न मानी, सोचा "कम्पीटिशन" को समाप्त करने का यह अच्छा उपाय है.
उसने कुछ भाषण, वक्त्व्य, मंत्र आदि शुरु किये. लाल और भगवे तो खतरा भांप समय रहते दौड़ कर एक वृक्ष पर चड़ गये. इधर बाघ जीवित हो उठा. खद्दरधारी अपनी सफलता से आत्ममुग्ध हो ही रहा था कि बाघ ने पंजा बढ़ाया और... यहां प्रेम पत्रकार ने छोटा सा ब्रेक लिया. सभी ने पूछा और आगे?
प्रेम ने कहा आगे का तो आप सभी जानते ही हैं.







1 टिप्पणी:

  1. गंभीर विषय की रोचक प्रस्तुति हैं.
    **kahani ke आगे सभी जानते हैं..

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