15.10.09

धन ही धन्य है

दीपावली का पर्व आज से प्रारंभ हो चुका है. यूं तो वर्ष भर हम सभी किसी न किसी प्रकार से धन की देवी श्री लक्ष्मी माता की आराधना करते ही रहते है.किंतु इन तीन दिनों का अधिक महत्व है.
आप-हम सभी जानते हैं, आज अर्थ है तो कुछ अर्थ है नहीं तो सारा कुछ निरर्थक है, अन्य अन्य ही है केवल धन ही धन्य है.
आप-हम बहुत सारा धन कमाऐं, खूब सारा खर्चें ताकि दूसरे भी धन कमा सके, इसी कामना के साथ आपकी हमारी के सभी पाठकों, टिप्पणीकर्ताओं एवं चिठ्ठाकर्ताओं को मेरी ओर से दीपोत्सव की हार्दिक बधाई. आपके लिये उपहार स्वरूप मेरी एक धन के महत्व को बताती कविता, और मेरी कुछ क्षणिकाऐं प्रस्तुत हैं.प्रयोग के तौर पर मैंने इन्हें दृष्य़-पटलों(slides) पर प्रकाशित किया है.
इसे आप full screen का बटन दबा कर देखें तो अधिक आनंद आयेगा.पूरी स्क्रीन पर केवल कविता और कुछ भी नहीं. आहा... लगेगा जैसे किसी नायिका की सुंदरता को "क्लोज-अप" में देख रहे हैं.आनंद लिजिये.

और ये रही मेरी कुछ क्षणिकाऐं...

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपको भी धनतेरस और दिवाली की हार्दिक शुभकामना

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  2. बेहतरीन क्षणिकाएँ हैं...

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल ’समीर’

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  3. बहुत ही सुंदर लिखा है आपने! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !

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  4. दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ...जो भी हो जैसी भी हो आपकी रचना अच्छी लगती है..बधाई!!!

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  5. APNE DIMAG KA THODA SA HISSA HAMARE DIMAAG ME BHI UP LOAD KAR DEWE

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