मित्रों आज आपको कविराज की मंडली में लिये चलते हैं. क्रिकेट की चर्चा चल रही हैं.भोलूराम जी बोले आजकल हर समय, हर शहर क्रिकेट ही क्रिकेट चल रहा है. दूसरे सारे खेल पृष्ठभूमि में चले गये हैं.
लाला छज्जूमल चहके अजी पहले तो दिन में होता था आजकल तो रात में भी होता है.
प्रेम पत्रकार ने चुटकी ली लाला जी आप भी रात में मैच देखते हैं ? लाला जी बोले अजी एक पारी देखते हैं. दूसरी पारी की ललाईन परमीशन नहीं देती. प्रेम पत्रकार ने कहा भाभी जी को वो नाचने वाली लड़कियां पसंद नहीं आती होगी फिर भी शुक्र है आपको एक पारी की तो परमीशन दे रही है.
सारी मंडली हंसने लगी. लाला जी झेंप गये.
तभी राय साब ने कहा दूसरे खेलों को भी बढ़ावा देने की योजनाओं पर काम चल रहा है.आगे...
शतरंज और चीयर गर्ल्स
राय साहब बोले
खेल मंत्रालय ने राय मांगी है
कहे अनुसार हमने
चतुरंग अर्थात Chess को
लोकप्रिय करने योजना बनाई है
हमने कहा सुनाईये
बोले सभी जानते हैं
चेस एक नीरस खेल है
खिलाडी मुंह झुकाये
आगे की पीछे की
चालें सोचते रहते हैं
दर्शक भी
मौन साधे बैठे रहते है
सौ बात की एक बात
इसमें उत्साह नहीं है
लाना होगा
चेस को पोपुलर करना है तो
उत्साह बालाओं को
घुसाना होगा
हम बोले उत्साह-बालायें ?
बोले यार Cheer girls
हमने पूछा कैसे घुसाओगे?
बोले
खिलाडियो के पीछे
काले मोहरों के पीछे गोरी
सफ़ेद मोहरों के पीछे श्यामल
दो चार उत्साह बालायें होगी
हमने पूछा काली-गोरी क्यों ?
बोले इससे रंग भेद मिटेगा
पूछा करेंगी क्या?
बोले वही जो क्रिकेट में कर रही हैं
जैसे ही प्यादा गिरेगा
बैंड बजेगा ये मुस्कुरायेंगी
पतली गर्दनें अदा से घुमायेगी
घोड़ा जायेगा तो ये भी
कूदेंगी उछलेंगी
ऊंट जायेगा तो झुकेंगी
सीधी हो जायेंगी
ऊंट की चाल दिखायेंगी
हाथी जाने पर हाथी की तरह झूमेंगी
थोड़े बहुत जलवे दिखायेंगी
वजीर जाने पर ये इतना हिलेंगी
इतना हिलेंगी
सारे दर्शकों को हिला देंगी
राजा जाने पर वे उछलेंगी
अपने हाथ छत से लगा देंगी
हमने कहा
ऐसे तो खिलाडियों का ध्यान बंटेगा
बोले
जो विषम परिस्थितियों में खेले
वही तो खिलाड़ी होता है
वैसे इसका प्रबंध कर देंगे
उनके कानों में रुई भर देंगे
प्लान कैसा है
हम बोले अति सुन्दर
कुछ दिनों के पश्चात
हमने पूछा क्या हुआ ?
राय साब बोले
फाईल मंत्रालय जा चुकी है
हमने तो दे दी अब जनता की राय
मांगी जा रही है
बंधुओ आप भी
समझिये सोचिये
खेल का या उत्साह्बालाओं का
किसी न किसी का
भला किजिये
जो भी हो अपनी राय
अवश्य दिजिये
27.3.10
16.3.10
देखना-सुनना
सभी चिट्ठाकर्ता, टिप्पणीकर्ता साथियों को नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
प्रस्तुत है मेरी एक कविता, आनंद लिजिये.
देखना-सुनना
बतियाने पहुंचे तो देखा
कविराज
समाधि मुद्रा मे बैठे
शुद्ध आंसू छाप
सास बहू टाईप
डायलोग सुन रहे थे
उनकीं आंखें
जमी थीं टी.वी.पर
पूरे के पूरे
एपिसोड में थे
हमने पूछा क्या
गजब कर रहे हो
नारियों के देखने वाले
सिरियल देख रहे हो
लगता है
भाभी जी नहीं है
इसी मिस
उन्हे याद कर रहे हो
कविराज बोले
वो सिरियल नहीं देखती
कुछ न कुछ कर रही होगी
हम बात को समझ रहे थे
तभी भाभी जी प्रकट हुई
हमने पूछा भाभीजी
आप इतना हिट सिरियल
मिस कर रही हैं
उपर से
घरेलू काम कर रही हैं
आश्चर्य है
प्रसन्न भी हो रही हैं
क्या कोई नया व्रत
कोई नई हवा चल रही है
वो बोली भाईसाहब
काम काज का तो कोई नहीं
आराम से करती हूं
क्योंकि
बुद्धू बक्से से दूर रहती हूं
फिर भी कृपा से इनकी
मिस नहीं होता
मेरा कोई अवड़ता सिरियल
पहले ये देखते हैं
क्या घटा क्या बढ़ा
रात में मुझे
सारे का सारा बता देते हैं
पूरा एपिसोड सुना देते हैं
कभी सुनिये तो सही
सच कहती हूं
आप देखना भूल जायेंगे
इतना अच्छा
इतना अच्छा सुनाते हैं
आगे-पीछे
हर बात डिटेल में बताते हैं
कवि हैं ना
मसाला इधर-उधर का
बहुत मिलाते हैं
मजा आ जाता है
आधे घन्टे का एपिसोड
दो घन्टे में सुनाते हैं
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