सभी पाठकों को मेरा अभिवादन.प्रस्तुत है मेरी नई कविता.पढ़िये, आनंद लिजिये और हां अपनी टिप्पणी देना न भूलिये
अभिनेता
हीरो जी हाथ जोड़
ताली बजा रहे थे
गर्दन हिला हिला
भोले-भंडारी को
मना रहे थे
तभी एक
झमाका हुआ
महादेव जी
प्रगट हुए
बोले वर मांग
अभिनेता बोला
हे भगवन
आप हैं धन्य
आठ ही दिन
हुए आते
इतनी जल्दी
हो गये प्रसन्न
भगवान बोले
रे मूढ़ मति
मैं प्रसन्न नहीं
दुखी हूं
तू इधर बैठ
नाम मेरा जप रहा है
मेरे सामने ही
सेटिंग कर रहा है
मन में है
हीरोईन का ध्यान
भक्ति नहीं भक्ति की
एक्टिंग कर रहा है
जो मांगना है मांग
चलता बन
किंतु याद रहे
अब कभी आना नही
बोर हो गया
फिर से तेरी घटिया
एक्टिंग दिखाना नहीं
28.7.10
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
रोचक...!!!
जवाब देंहटाएंmazedaar rachna
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंbahut badhiyan!!!
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ रोचक और मज़ेदार रचना पढने को मिला और बहुत बढ़िया लगा ! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
जवाब देंहटाएंhahaahha.......mast hai!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुती ||
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमित्रता दिवस की बधाई
बाऊ जी नमस्ते!
जवाब देंहटाएंलोट-पोत हुए हँसते-हँसते!
हम भी एक अदद हिरोईनी को तरसते!
पर भोलेनाथ को परेशां ना करते!
हा हा हा....
मज़ा आ गया!
------------------
मेरे चिट्ठे पर इस बार.....
फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!
आपकी टिपण्णी मिलने पर लिखने का उत्साह और बढ़ जाता है! बस आप सबका आशीर्वाद रहे तो मैं और बेहतर लिख सकूँगी!
जवाब देंहटाएंआपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!
बहुत मजेदार लिखा आपने अंकल जी....'पाखी की दुनिया' में भी घूमने आइयेगा.
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरी नयी कविता पढियेगा! आपकी टिपण्णी का इंतज़ार रहेगा!
जवाब देंहटाएंमेरा हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया ...आपका ब्लॉग देखा बहुत खुबसूरत पन्तियाँ पढने को मिली, आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंvijay ji .....Outstanding Rachnaa ! sorry Prarthana !!!
जवाब देंहटाएंvinay pandey !