27.2.10

आपको होली की शुभकामनाओं सहित ये कविता अर्पित है.
होली ससुराली
हमने एक बार कविराज से कहा अपनी किसी अविस्मरणीय होली के बारे में बताईये. बोले यार ससुराल की और वह भी पहली होली वह होली ही अविस्मरणीय और साथ ही मधुर भी होती है. हम बोले सुनाईये न. बोले उस होली को यार लोगों ने भंग पिला दी थी और बहुत चढ़ गई थी.हम पूरी मस्ती में थे और पहुंच गये ससुराल...
...................
थी निराली
पहली हमारी
होली ससुराली
उस होली पर
मेरी उन्होने
हाय
सकुचाते लजाते
लगाया था गुलाल
हमने भी उनके
लाल किये थे गाल
आगे न पूछो
बज उठी तालियां
निकल आई हमारी
छिपी हुई सालियां
हम तो बंधु
सालियों के
संग से रंग से
गुलाब की तरह
खिल रहे थे
भोलेबाबा की
कृपा से
हंस हंस हंस
थोडा अधिक ही
हिल रहे थे
तभी हमारा मन
मौज में आया
सालियों को
हमने थोड़ा सा
"रंग बरसे" सुनाया
ठीक उसी समय
अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक सा
हमारा साला बाबू
आया
इधर देखा उधर देखा
बोला जीजा जी
आप तो कविराज हैं
रंग और ढंग की
तुक मिलाईये
इस होली को यादगार बनाईये
रंग में थोड़ा ढंग लाईये
हम उसका संकेत समझे
और बोले
साला बाबू हमने
रंग की तुक ढंग से नही
भंग से मिलायी है
छोड़ों तुकबाजी
मस्ती छाई है
इधर वो भी कम नहीं था
हाय
वो साला भी कवि था
उसने मेरा हाथ
हां बंधु अपना नहीं
मेरा हाथ पकड़ा
और
अपने गले में डाला
बोला जीजाजी
चलिये बाजार जाते हैं
भंग के रंग में
और रंग चढ़ाते हैं
यहां की
प्रसिद्ध रबड़ी खाते हैं.
हम बोले फिर
बोला फिर हम दोनों
कवि-कवि
साथ साथ
होली मनायेंगे
कविताऐं
सुनेंगे सुनायेंगे
मैंने विचारा
साले का क्या करूं?
कुछ नहीं हो सका
बोला चलिये, चलते हैं
सोचा क्यूं ये साले
सताते हैं सालते हैं
साले तो साले ही हैं
रंग में भंग डालते हैं
रंग में भंग डालते हैं

18 टिप्‍पणियां:

  1. आप भंग में डाल कर रंग
    विजय मनाइये गाकर तरंग।
    रंगपर्व की रंगकामनाएं।

    डेशबोर्ड में सेटिंग में जाकर कमेंट में आकर वर्ड वेरीफिकेशन को निष्क्रिय कर हिन्‍दी के मार्ग में तैनात अंग्रेजी के भूत को भगाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. हा हा! मजेदार!!

    ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
    प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
    पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
    गले लगा लो यार, चलो हम होली खेलें.


    आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

    -समीर लाल ’समीर’

    जवाब देंहटाएं
  3. ससुराल की पहली अविस्मरणीय होली!

    मज़ेदार प्रसंग !
    होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाकई साले साहब ने भंग की तरंग में भी भंग डाल दिया....
    अच्छी हास्य कविता

    जवाब देंहटाएं
  6. आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक बधाईयाँ एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  7. मज़ेदार प्रसंग ! आप भी मेरे ही शहर के है ये जानकार ख़ुशी हुई. आप कि टिपण्णी के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. साले का क्या करूं?
    कुछ नहीं हो सका
    बोला चलिये, चलते हैं
    सोचा क्यूं ये साले
    सताते हैं सालते हैं
    साले तो साले ही हैं
    रंग में भंग डालते हैं
    रंग में भंग डालते हैं
    Ha, ha...maza aa gaya..aisee kayi holiyan aapki qismat me hon!

    जवाब देंहटाएं
  9. शब्‍द पुष्टिकरण निष्क्रिय करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!

    जवाब देंहटाएं
  11. saale saheb ne torang mebhang daal diya.koi baat nahi aisa bhi kabhi kabhi hi hota hai.vaise pahali sasurali holi to kabhi na bhulane wali hi hoti hai .padh kar maza ayaa.
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  12. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!

    जवाब देंहटाएं
  13. वाह....बहुत खूब ....!

    जबरदस्त तुक बंदी है ......!!

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत अच्छे ...............गुरु ,गुरु ही रहता है और मुझ जैसा चेला चेला ही रहेगा !

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छे ...............गुरु ,गुरु ही रहता है और मुझ जैसा चेला चेला ही रहेगा !

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणी हमारी प्रेरणा

 
चिट्ठाजगत IndiBlogger - The Indian Blogger Community
www.blogvani.com